नई दिल्ली। आने वाले दो-तीन सालों में आपको पेट्रोल और डीजल के लिए ज्यादा कीमत चुकाने के लिए तैयार रहना पड़ सकता है। तेल कीमत की एक लेटेस्ट स्टडी के मुताबिक, जेपी मॉर्गन के ईएमईए एनर्जी इक्विटी रिसर्च के प्रमुख क्रिस्टियन मालेक ने अलर्ट करते हुए कहा है कि ब्रेंट की कीमत में कुछ दिनों में आई तेजी साल 2026 तक 150 डॉलर प्रति बैरल तक जारी रह सकता है। मौजूदा समय में क्रूड ऑयल की कीमत 94-96 डॉलर प्रति बैरल के आस-पास कारोबार कर रहा है।
क्यों बढ़ीं कीमतें
आईएएनएस की खबर के मुताबिक, जेपी मॉर्गन की तरफ से जारी 150 डॉलर की कीमत (rude Oil Priceकी चेतावनी में कई उत्प्रेरक (कैटेलिस्ट) शामिल थे, जिनमें कैपिसिटी शॉक्स, ऊर्जा सुपरसाइकिल – और निश्चित रूप से, दुनिया को जीवाश्म ईंधन से दूर करने की कोशिशें शामिल थीं। कुछ दिनों पहले तेल उत्पादक देशों के समूह ओपेक+ के प्रोडक्शन में कटौती के चलते कच्चे तेल की कीमतें बढ़ी हैं, जिसमें भूमिका सऊदी अरब ने निभाई। इसने करीब अकेले ही बाजार से 1 मिलियन बीपीडी ले लिया, जिसके बाद रूस से ईंधन एक्पोर्ट पर बैन लगा दिया गया।
93.55 डॉलर प्रति बैरल के आसपास है कीमत
क्रूड ऑयल की कीमत की रिपोर्ट के मुताबिक, सप्लाई बैन के साथ कच्चे तेल की बढ़ती मांग, कच्चे तेल की कीमतों को बढ़ावा दे रही है और बढ़ती उपभोक्ता कीमतों में योगदान दे रही है। ब्रेंट की कीमतें शुक्रवार दोपहर को 93.55 डॉलर प्रति बैरल के आसपास कारोबार कर रही थीं, लेकिन मालेक को उम्मीद है कि अगले साल ब्रेंट की कीमतें $90 और $110 के बीच होंगी, और साल 2025 में इससे भी लेवल पर यह जा पहुंचेगा। यह एक बहुत ही अस्थिर सुपरसाइकिल होने जा रहा है, चूकि विश्लेषक ने ओपेक के प्रोडक्शन में कटौती और नए तेल उत्पादन में निवेश की कमी के बारे में चेतावनी दी थी।
जेपी मॉर्गन ने फरवरी में कहा था….
इससे पहले जेपी मॉर्गन ने इसी साल फरवरी में कहा था कि इस साल तेल की कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंचने की संभावना नहीं है, जब तक कि कोई बड़ी भूराजनीतिक घटना न हो, जिसने बाजार को हिलाकर रख दिया हो। , जेपी मॉर्गन ने अलर्ट किया था कि ओपेक + इंटरनेशनल सप्लाई में 4,00,000 बीपीडी तक जोड़ सकता है। रूस के तेल एक्सपोर्ट में संभावित रूप से सुधार हो सकता है। ऑयल प्राइस की रिपोर्ट के मुताबिक, जेपी मॉर्गन को अब 2025 में इंटरनेशनल सप्लाई और मांग असंतुलन 1.1 मिलियन बीपीडी पर दिखाई दे रहा है, लेकिन साल 2030 में 7.1 मिलियन बीपीडी घाटा बढ़ रहा है क्योंकि लिमिटेड सप्लाई के मुकाबले मजबूत डिमांड जारी है।