रायपुर। राजिम में हर साल आयोजित होने वाला माघी पुन्नी मेला अब ‘कुंभ कल्प मेला’ के नाम से जाना जाएगा. विपक्ष की मांग पर संशोधन विधेयक पर फैसला मतदान के जरिए हुआ, जिसमें संशोधन विधेयक के पक्ष में 43 तो विपक्ष में 30 वोट पड़ेl
संस्कृति मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने सदन में संशोधन विधेयक पेश किया. भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने विधेयक के पक्ष में अपनी बात रखते हुए कहा कि पिछली सरकार ने छत्तीसगढ़ की संस्कृति और इतिहास से छेड़छाड़ की. अजय चंद्राकर के बयान पर पक्ष और विपक्ष के बीच नोक-झोंक शुरू हो गई.
विपक्षी सदस्यों ने राजिम माघी पुन्नी मेले का नाम बदलने पर आपत्ति जताई. अटल श्रीवास्तव ने कहा कि हमारी संस्कृति को मिटाने की कोशिश न करें. इस पर अजय चंद्राकर ने कहा कि सिर्फ नाम में ही संशोधन हो रहा है, लेकिन इसी से राजिम का गौरव जुड़ा है. चर्चा के दौरान अटल श्रीवास्तव और सुशांत शुक्ला के बीच तीखी बहस हुई.
प्रदेश में 5 हजार स्थानों पर माघी पुन्नी मेला होता है. कुंभ देश में सिर्फ चार स्थानों पर होता है. छत्तीसगढ़ की संस्कृति को आगे बढ़ाने कुंभ का नाम दिया. वेद पुराणों में महानदी को चित्रोत्पला कहा गया है.
राजिम का धार्मिक महत्व है, यहां लोग अस्थि विसर्जन करते हैं. हम इस विधेयक के माध्यम से प्रदेश की संस्कृति को बढ़ा रहे हैं. माघी पुन्नी मेले के स्थान पर कुंभ कल्प मेला नाम दिया जा रहा है. संशोधन विधेयक पर विपक्ष ने मत विभाजन की मांग की, जिस पर पक्ष में 43 तो वहीं विपक्ष में महज 30 वोट पड़ने के साथ विधेयक पारित हुआ.