रायपुरl विधायक राजेश मूणत ने देशी-अंग्रेज़ी शराब की आपूर्ति, ओवर रेट और अवैध विक्रय का मामला सदन में उठा.
राजेश मूणत ने पूछा-
किस नीति के आधार पर शराब की ख़रीदी की जाती है?
2019 से 23 तक छत्तीसगढ़ में सिर्फ़ तीन कंपनी ही सप्लाई करती रही? देशी और विदेशी शराब में कितनी कंपनियों ने टेंडर में हिस्सा लिया.
2018-19 में 37, 2019-20 में 67 और इसके बाद 21 फ़र्मों ने टेंडर में भाग लिया था. इसके बाद संख्या कम हो गई.
पांच साल तक एक ही कंपनी ने सप्लाई की है. ये हाल अंधा बांटे रेवड़ी चुन चुन कर दे वाला मामला है. क्या पांच साल तक सप्लाई के लिए एक ही डिस्टलरी को काम दिया गया.
सरकारी शराब दुकानों में दो तरह की शराब बेची जाती थी. एक वैध और दूसरा अवैध. अवैध बेचने वालों के ख़िलाफ़ प्रकरण दर्ज किए गए लेकिन एक भी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई. प्लेसमेंट एजेंसी के खिलाफ एक भी कार्रवाई नहीं हुई. पांच साल में 157 प्रकरण बने और सिर्फ़ दो व्यक्ति के ख़िलाफ़ कार्रवाई हुई. सरकारी दुकानों से अवैध शराब बेचने के पूरे राज्य में 567 प्रकरण बनाये गये लेकिन कार्रवाई पांच पर ही हुई. क्या इस मामले की जांच कराई जाएगी.
जिन लोगों ने छत्तीसगढ़ के राजस्व में डाका डाला क्या उनके खिलाफ कार्रवाई होगी?
प्लेसमेंट एजेंसी ने सरकारी दुकानों से अवैध शराब खपाया. डुप्लीकेट होलोग्राम का इस्तेमाल किया गया. छत्तीसगढ़ के राजस्व में योजनाबद्ध तरीक़े से डाका डाला गया. क्या ये प्लेसमेंट एजेंसी आज भी काम कर रही है?
क्या प्लेसमेंट एजेंसी के खिलाफ एफ़आईआर दर्ज होगी?
श्याम बिहारी जायसवाल ने जवाब में कहा –
मुख्यमंत्री की अनुपस्थिति में मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने अपने जवाब में कहा- शराब नीति बनी हुई है. मांग के अनुपात में शराब कंपनियों से इसकी आपूर्ति की जाती है. टेंडर के माध्यम से ख़रीदी की जाती है.
राज्य में देशी शराब के तीन ही उत्पादक हैं. इसलिए तीन टेंडर ही आये.
शासन की नीति थी कि देशी शराब के लिए छत्तीसगढ़ के डिस्टलरी ही टेंडर में शामिल होगी. जिलो को आठ ज़ोन में बाँटकर तीनों डिस्टलरी से सप्लाई की जाती थी.
टेंडर में सबसे कम दर की वजह से एक ही कंपनी को सप्लाई का काम दिया गया. दर कम आएगी तो आगे भी कम देंगे.
इस मामले में ईडी और एसीबी जांच कर रही है.
प्लेसमेंट एजेंसी ने अपने कर्मचारियों को बचाने का प्रयास नहीं किया. जब जब मामले आजाएंगे प्लेसमेंट एजेंसी के खिलाफ जांच की जाएगी. अनियमितता सामने आने पर आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जायेगा.