गरियाबंद l गरियाबंद आजादी के 75 साल बीत जाने के बावजूद मैनपुर ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले अमलीपदर तहसील क्षेत्र का कसेर शील गांव बुनियादी सुविधाओं से अब भी वंचित है। यहां के ग्रामीणों को अब भी तरिया से पानी लाकर पीना पड़ता है। पूरे गांव के लोग सिर्फ एक कुएं पर निर्भर हैं। पानी लाने के लिए उन्हें पहाड़ी चढ़नी पड़ती है, जिससे गर्भवती महिलाओं समेत सभी ग्रामीणों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

गांव में न तो सड़क की सुविधा है और न ही बिजली की व्यवस्था। मात्र सोलर प्लेट्स दी गई हैं, जिनसे मुश्किल से दो-चार घंटे ही रोशनी मिल पाती है। सड़क की स्थिति इतनी दयनीय है कि ट्रैक्टर जैसे-तैसे गांव तक पहुंच पाते हैं, जबकि गांव से मात्र डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर उड़ीसा की चमचमाती प्रधानमंत्री सड़क उपलब्ध है।

राशन के लिए ग्रामीणों को अपने ग्राम पंचायत कुईमाल तक जाने के लिए पांच किलोमीटर पहाड़ी से उतरना पड़ता है। वहीं, मामूली दवाई-दारू के लिए भी उन्हें मुडगेल माल जाना पड़ता है। गांव में न तो आंगनबाड़ी की सुविधा है और न ही स्कूल। बच्चों को पढ़ाई के लिए भी पांच किलोमीटर दूर कुईमाल तक पहाड़ी से उतरकर जाना पड़ता है और शाम को फिर चढ़कर लौटना पड़ता है।बहुत सारे बच्चे पढ़ाई नहीं करते हैं । इक्का दुक्का बस आदिवासी हॉस्टलों मैं रह हर पढ़ाई करते हैं । बाकी सब भेड़ बकरी चराते है ।

गांव मैं शुरुआती शिक्षा के लिए आंगनबाड़ी भवन भी नहीं है इसलिए एक ,दो बच्चे 9 10 की उम्र में कुई माल आकार पढ़ाई कर लेते हैं । बारिश में तो स्कूल आते ही नहीं । डिलीवरी पेशेंट को भी डिलीवरी होने के समय मोटरसाइकिल से नीचे 4 किलोमीटर उतरना पड़ता है । उसके बाद इंतजार कर रहे 108,102 गाड़ी में मरीज बैठकर अस्पताल जाते हैं ।रोजगार का भी मध्यम कुछ भी नहीं है ।जंगल से लकड़ी काटकर लाते हैं और उसे शहर ले जाकर बेचते हैं और अपना रोजी रोटी चलाते हैं । महिलाएं सुपा झाड़ू आदि बनाकर अपना परिवार पालन पोषण करते हैं । जंगली उत्पाद जैसे महुआ और लाख पर ज्यादा भरोसा करते है । सबसे ज्यादा तकलीफ इन्हें गर्मी के महीने में पानी को लेकर होता है । ना तो नहाने के लिए पानी मौजूद है , और ना पीने के लिए । जैसे तैसे तरिया में कुआं खोद कर ग्रामवासी अपना प्यास बुझा लेते हैं और तरिया का पानी पीते भी है, साथ में नहाते भी है । गांव में इलेक्शन का पोस्टर तो दिखता है , लेकिन नहीं दिखता तो सिर्फ विकास । सरकार देशवासियों के लिए कई सारा योजनाएं लेकर आता है । चाहे वो आवास का हो या चाहे वो नल जल योजना ।

यह सब कसेर शील ग्राम वासियों के लिए किसी सपने से काम नहीं है । एक भी प्रधान मंत्री आवास आज तक इस गांव में नहीं बना है । ना तो महिलाओं को सुदृढ़ करने वाली कोई भी महिला समूह हो या सरकार की बाकी योजना । तरिया का गंदगी और मच्छर का लार्बा भरा पानी को पीने और नहाने के लिए बेबस, कसेरशील ग्राम वासी रोज आशा की किरण का उम्मीद रखते हैं और इंतजार करते हैं की ,कभी तो कोई महा पुरुष फरियाद सुनकर तकलीफ दूर करने जरूर आएगा , लेकिन अब तक उनका इंतजार , इंतजार ही रह गया है ।
अब आजादी के अमृत महोत्सव मानने वाली इस देश मै यह देखना है कि , इस कसेरशील गांव के लिए विकास की कोई नई किरण कब तक पहुंचती है।