एक तरफ छोत्तीसगढ़ सरकार स्वास्थ्य सुविधा को लेकर लाख दावे करती है..लेकिन बलरामपुर जिले के जिला अस्पताल कार्यकाल देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि सरकारी अस्पताल में मरीजों का सुविधा कैसे होता है,,
जी हम बात कर रहे है बलरामपुर जिला अस्पताल की बलरामपुर जिला आदिवासी बहुमूल्य क्षेत्र है जहां इलाज के लिए अस्पताल तो आते हैं लेकिन इलाज नहीं होने के कारण उल्टे पैर घर वापस जाना पड़ता है हम ऐसा इसलिए कह रहे हैँ की जिला अस्पताल मे सोनोग्राफी बिगत एक साल से बंद पढ़ा हुआ है लेकिन इसका सुध लेनेवाला कोई नहीं है दूर दराज से आये महतारी महिलाएं चेकअप के लिए निराश हो कर आपस जाना पढता है

सुबिधा नहीं मिलने के कारण बाहर मे कही जा कर मजबूरन एक हजार रुपये देना पड़ता है लेकिन हमारे साशन प्रसाशन ज़ब कोई शासकीय कार्य कर्म किया जाता है तो वही महतारी माताएँ के बारे मे कितने बखान करते है की कहने कोई कोर कसर नहीं छोड़ते है लेकिन बलरामपुर की जिला अस्पताल की कहानी हाथी की दांत जैसी है कहने के लिए कुछ और देखने के लिए कुछ ज़ब पंचयात चुनाव की अचार सहिता ज़ब लगा था तो राम बिचार नेताम आदिम जाती कल्याण मंत्री बोले थे की चुनाव बाद सारी समस्या ठीक हो जायगा लेकिन हमारे जिला प्रतिनिधि चुनाव बीतते चैन की नीद सो गये.

लेकिन आज भी जिला अस्पताल की सुंदरता पर ग्रहण लगने के लिए कोई कसर नहीं छोड़े जिम्मेदार व्यक्ति केवल नाम ढिंढोरा पीटने में लगे हुए हैं आज भी जिले के निवासियों को अन्य जिले में जाकर इलाज करवाना पड़ता है केवल नॉर्मली बीमारियों का इलाज बलरामपुर जिले में हो पता है