अमेरिका द्वारा “Reciprocal Tariff Suspension” की 90-दिन की अवधि: विस्तृत विवरण
🔹 क्या है ‘Reciprocal Tariff Suspension’?
Reciprocal Tariffs का मतलब होता है – “प्रतिस्पर्धात्मक या बराबरी का शुल्क”।
अमेरिका ने यह नीति अपनाई थी कि यदि कोई देश अमेरिकी उत्पादों पर ज़्यादा टैरिफ लगाता है, तो अमेरिका भी उसके उत्पादों पर उतना ही या ज़्यादा टैरिफ लगाएगा।
👉 लेकिन, अप्रैल 2025 में अमेरिका ने 90 दिनों के लिए इस नीति को निलंबित किया, ताकि भारत, यूरोप और अन्य प्रमुख व्यापारिक साझेदारों के साथ शांतिपूर्वक समझौते पर बातचीत की जा सके।
📆 90-दिन की अवधि – समयरेखा
चरण
विवरण
🗓️ अप्रैल 10, 2025
अमेरिका ने Reciprocal Tariff को 90 दिनों के लिए सस्पेंड किया, ताकि भारत, यूरोपीय संघ, जापान आदि के साथ व्यापार वार्ता हो सके।
📌 9 जुलाई 2025
यह सस्पेंशन अवधि समाप्त हो रही है। अगर तब तक कोई समझौता नहीं होता है, तो स्वचालित रूप से ऊँचे टैरिफ फिर से लागू हो सकते हैं।
🇮🇳🇺🇸 भारत-अमेरिका व्यापार पर प्रभाव
➤ संभावित उत्पाद जिन पर टैरिफ लग सकता है:
स्टील और एलुमिनियम उत्पाद
ऑटो पार्ट्स, फर्नीचर, इलेक्ट्रिकल्स
टेक्सटाइल्स, फार्मा (low-margin generics)
कृषि उत्पाद (जैसे चाय, मसाले, कुछ ग्रेन)
➤ टैरिफ का प्रभाव:
क्षेत्र
संभावित असर
📉 निर्यातक कंपनियाँ
टैरिफ बढ़ने से कीमत प्रतिस्पर्धी नहीं रहेंगी — बिक्री में गिरावट संभव।
💸 बाजार सेंटीमेंट
FII निवेश घट सकता है; भारतीय स्टॉक्स में sell-off बढ़ सकता है।
💱 रुपया
रुपये पर दबाव बढ़ सकता है; ट्रेड डेफिसिट के बढ़ने की आशंका।
🏭 MSME क्षेत्र
छोटी कंपनियों पर सीधा असर – लागत और लॉजिस्टिक्स महंगी हो सकती है।
🔍 सरकार की रणनीति
भारत ने अमेरिका को बादाम, पिस्ता, वॉलनट जैसे उत्पादों पर रियायत देने का प्रस्ताव दिया है।
लेकिन भारत कृषि (दूध, गेहूं, सोया) और डिजिटल डेटा फ्लो पर ‘नो-कंप्रोमाइज’ नीति पर अड़ा है।
भारत का कहना है कि अगर टैरिफ दोबारा लगे, तो वह भी जवाबी टैरिफ लगाने को तैयार है।
📈 बाजार विश्लेषण और रणनीति
निवेशक प्रकार
सुझाव
🔍 शॉर्ट टर्म ट्रेडर
Volatility बढ़ सकती है, SL के साथ ट्रेड करें; खासकर बैंकिंग और ऑटो शेयरों में
💼 लॉन्ग टर्म निवेशक
Correction में IT, फार्मा और घरेलू कंजम्प्शन स्टॉक्स में खरीदारी के अवसर ढूंढें
🧾 एक्सपोर्ट-फोकस्ड निवेशक
उच्च टैरिफ का अनुमान कर पोर्टफोलियो में रिबैलेंस करें – विशेषकर स्टील, फार्मा
📌 निष्कर्ष
9 जुलाई 2025 की समयसीमा बेहद निर्णायक मोड़ है।
अगर डील नहीं बनती, तो अमेरिका भारत के दर्जनों उत्पादों पर फिर से 25–50% तक टैरिफ लगा सकता है।
इससे भारतीय कंपनियों की कॉस्टिंग, मार्जिन और ग्लोबल एक्सपोर्ट कंपटीशन पर सीधा असर पड़ेगा।