स्थान और समय
- स्थान: जगदलपुर, बस्तर संभाग, छत्तीसगढ़।
- समय: नवरात्रि के तीसरे दिन, बुधवार को।
- मुख्य आयोजन: मां दंतेश्वरी का छत्र सजाए गए फूल रथ की परिक्रमा।

परिक्रमा का विवरण
- चार पहियों वाले फूल रथ पर मां दंतेश्वरी का छत्र रखा गया।
- प्रधान पुजारी रथ पर सवार होकर गोलबाजार में माता की परिक्रमा करते नजर आए।
- गाजे-बाजे और ढोल-नगाड़ों के साथ परिक्रमा का आयोजन हुआ।
- पुलिस जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर देते हुए सलामी दी।
- परिक्रमा का मार्ग: सिरहासार चौक → गोलबाजार → मिताली चौक → मां दंतेश्वरी मंदिर।
- यह रस्म आगामी 3 दिनों तक इसी तरह निभाई जाएगी।
विवाद की वजह
- इस साल पटेल समुदाय ने मांग उठाई कि राजा-रानी रथ पर बैठें, परंपरा के अनुसार।
- इतिहास: रियासत काल में दशहरे की परिक्रमा में राजा-रानी हमेशा रथ पर सवार होते थे, लेकिन यह परंपरा 1965 के बाद बंद हो गई।
- इस साल बस्तर रियासत प्रमुख कमलचंद भंजदेव की शादी के बाद यह मांग फिर उठी।
- प्रशासन ने राजा-रानी के रथ पर बैठने की अनुमति नहीं दी, जिसके कारण पटेल समुदाय ने रथ खींचने से इनकार कर दिया।
- रथ घंटों तक खड़ा रहा और विवाद देर रात तक जारी रहा।
- बस्तर कलेक्टर हरिस एस और बस्तर एसपी सलभ सिन्हा ने समझाइश दी, लेकिन पटेल समुदाय अपनी मांग पर अड़ा रहा।
- अंततः, रथ पर पुजारी के द्वारा छत्र रखकर परिक्रमा पूरी हुई।
परंपरा का महत्व
- बस्तर दशहरा की रथ परिक्रमा की शुरुआत 1410 ईसवी में महाराजा पुरुषोत्तम देव ने की थी।
- यह परंपरा 700 साल पुरानी मानी जाती है।
- रथ परिक्रमा दशहरे का मुख्य आकर्षण और धार्मिक अनुष्ठान का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
- फूल रथ और विजय रथ दोनों पर समुदाय और प्रशासन का तालमेल परंपरा निभाने के लिए अहम है।
आगे की संभावनाएँ और चेतावनी
- पटेल समुदाय ने संकेत दिए हैं कि 2 अक्टूबर को होने वाली विजय रथ परिक्रमा में वे राजा को रथपति की उपाधि दिलाने की मांग फिर उठाएंगे।
- इसलिए आगामी विजय रथ परिक्रमा में विवाद दोबारा उभरने की संभावना बनी हुई है।
निष्कर्ष
- इस साल बस्तर दशहरा परंपरा और विवाद के मिश्रित स्वरूप में आयोजित हुआ।
- प्रशासन और रियासत परिवार ने समझाइश और मध्यस्थता के जरिए विवाद को कुछ हद तक नियंत्रित किया।
- परंपरा के प्रति श्रद्धा और सांस्कृतिक महत्व को बनाए रखते हुए विभिन्न समुदायों के मतभेद अभी भी मौजूद हैं।
- आगामी दिन विशेष रूप से विजय रथ परिक्रमा में सुरक्षा और मध्यस्थता की भूमिका महत्वपूर्ण होगी।
