बुंदेलखंड l बुंदेलखंड के जनपद हमीरपुर में सबको हैरान कर देने वाला एक ऐसा मामला सामने आया है। जिसे देखकर लोगों की आँखें फटी की फटी रह गई। बचपन से एक साल की बच्ची को बाल खाने की अदद पड़ गई। बराबर 5 साल तक बालों को खाती रही। बच्ची के पेट में हमेशा दर्द बना रहता था। 5 साल की बच्ची के पेट से 250 ग्राम बालों का गुच्छा निकला। बच्ची के पेट में दर्द और उल्टियां होने पर परिवार ने डॉक्टरो को दिखाया। डॉक्टरों ने 40 मिनट ऑपरेशन कर बच्ची के पेट से बालों का गुच्छा निकाला। परिवार को बताया कि बच्ची ट्रीकोबेजार नामक बीमारी से पीड़ित थी। मां ने 4 दिन पहले एक प्राइवेट क्लिनिक में बच्ची को भर्ती कराया था। मंगलवार को उसे डिस्चार्ज कर दिया गया।

सदर कोतवाली क्षेत्र के किरतुआ गांव निवासी देशराज सोनकर ने बताया कि 3 साल से मेरी बेटी रूपम के पेट में दर्द बना रहता था। बेटी का पिता मजदूरी करके घर का पालन पोषण करते हैं। हमारी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। इस गंभीर बीमारी का इलाज महंगा था। इसलिए बच्ची को कानपुर में दिखा रहे थे, लेकिन डॉक्टर ने इलाज का खर्च डेढ़ लाख से अधिक बताया था। पैसा न होने के कारण हमने हमीरपुर में ही एक प्राइवेट क्लिनिक के डॉक्टर को दिखाया। डॉक्टर के.के. लाक्षाकार ने अपनी क्लिनिक में 5 वर्षीय बच्ची रूपम का ऑपरेशन किया। ऑपरेशन में 35 हजार रुपए खर्च आया। बच्ची का इलाज करने वाले डॉक्टर के.के. लच्छकार ने बताया कि बच्ची के परिजन हमारे क्लिनिक पर आए। जांच की गई तो पता चला कि बच्ची ट्राइकोबेजार नामक बीमारी से पीड़ित है। उसके पेट में 250 ग्राम का बालों का गुच्छा था। जो पेट और नली में फंसा हुआ था। जिसे ऑपरेशन कर निकाला गया। बच्ची की हालत अब ठीक है। टांके भी काट दिए गए हैं। एक साल तक बच्ची की दवा चलेगी। जिससे बच्ची के बाल खाने की लत दूर हो जाएगी। डॉक्टर ने बताया कि ऑपरेशन में सबसे बड़ी दिक्कत ये थी कि मरीज की उम्र कम थी। इसकी बॉडी भी बहुत वीक थी। मानसिक रूप से परेशान बच्चे ट्रीकोबेजार नामक बीमारी से ग्रसित हो जाते हैं।

बाल खाने की लत लग जाती हैं। पेट में एसिड बनता है, जो हर चीज को डाइजेस्ट कर लेता है, लेकिन बाल और नाखून को डाइजेस्ट नहीं कर पाता है। ये सब पेट में जाकर जमा होकर गुच्छा बन जाता है।
डॉक्टर ने बताया कि बड़ा गुच्छा होने की वजह से पेट में दर्द बना रहता था। खाना हजम नहीं होता, उल्टी की शिकायत बनी रहती है। मरीज बहुत कमजोर भी हो जाता है। सही समय पर इलाज मिलने पर बीमारी ठीक हो जाती है।
डॉक्टर के मुताबिक जनपद में यह पहला मामला सामने आया है जबकि 25 साल पूर्व ट्रीकोबेजार नामक मनोरोग से पीड़ित व्यक्ति अपने खुद के बाल नोचकर खाता था।