छत्तीसगढ़ की राजनीति में बिजली बिल विवाद को लेकर एक नए मोड़ की ओर इशारा करती है — जहाँ अब कांग्रेस पार्टी ने राज्य सरकार के खिलाफ प्रदेशव्यापी आंदोलन का ऐलान किया है।
आइए विस्तार से समझते हैं कि कांग्रेस का आरोप क्या है, आंदोलन की रूपरेखा कैसी होगी, और इसका राजनीतिक असर क्या पड़ सकता है 👇
⚡ बिजली बिल को लेकर छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का राज्यव्यापी आंदोलन
📍 स्थान: रायपुर (प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय)
📅 घोषणा की तारीख: 16 अक्टूबर 2025
🗣️ घोषणाकर्ता: कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज

🔹 कांग्रेस का आरोप
कांग्रेस ने वर्तमान भाजपा सरकार पर दोहरी नीति अपनाने का आरोप लगाया है।
पार्टी का कहना है कि —
“सरकार एक ओर महिलाओं को महतारी वंदन योजना के तहत ₹1000 प्रतिमाह दे रही है, लेकिन उसी परिवार से बिजली बिलों के नाम पर तीन गुना वसूली की जा रही है। यह आम जनता के साथ सीधा धोखा है।”
— दीपक बैज, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष
कांग्रेस नेताओं का कहना है कि यह जनकल्याण योजनाओं की आड़ में आर्थिक बोझ बढ़ाने की चाल है, जिससे आम उपभोक्ता परेशान हैं।
⚙️ क्या है मामला
- हाल के महीनों में बिजली बिलों में अचानक वृद्धि की शिकायतें सामने आई हैं।
- उपभोक्ताओं का आरोप है कि सरकार ने सब्सिडी घटा दी है, जिससे बिल पहले की तुलना में 2 से 3 गुना बढ़ गए हैं।
- ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली कटौती और मीटर रीडिंग में गड़बड़ी की भी शिकायतें हैं।
- कांग्रेस का दावा है कि “100 यूनिट मुफ्त बिजली” का वादा पूरा नहीं हो रहा।
🔥 कांग्रेस का आंदोलन कार्यक्रम
कांग्रेस ने आंदोलन को तीन चरणों में चलाने की घोषणा की है:
🔸 चरण 1: जिला स्तर पर प्रदर्शन
- 20 से 25 अक्टूबर के बीच हर जिला मुख्यालय में प्रदर्शन और बिजली विभाग का घेराव किया जाएगा।
- कांग्रेस कार्यकर्ता बिजली बिलों की प्रतियां लेकर प्रतीकात्मक बिल जलाओ आंदोलन करेंगे।
- जिला अध्यक्षों को आंदोलन की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है।
🔸 चरण 2: मंडल और ब्लॉक स्तर पर जनसभा
- नवंबर के पहले सप्ताह में ब्लॉक और मंडल स्तर पर पदयात्राएँ और नुक्कड़ सभाएँ होंगी।
- जनता से बिजली बिलों के मुद्दे पर समर्थन पत्र (हस्ताक्षर अभियान) लिया जाएगा।
🔸 चरण 3: रायपुर में विशाल “जन आक्रोश रैली”
- आंदोलन का समापन राजधानी रायपुर में विशाल रैली और घेराव से होगा।
- इसमें कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी शामिल हो सकते हैं।
🧾 दीपक बैज के बयान के मुख्य बिंदु
- “महतारी वंदन योजना सिर्फ वोट बैंक की राजनीति है।”
- “जनता को राहत नहीं, भ्रम दिया जा रहा है।”
- “महिलाओं को ₹1000 देकर, उनके घरों से ₹3000 बिजली बिल के नाम पर वसूले जा रहे हैं।”
- “कांग्रेस अब सड़क से लेकर विधानसभा तक आवाज़ उठाएगी।”
⚖️ राजनीतिक पृष्ठभूमि
- कांग्रेस इस मुद्दे को जनता से जुड़ा सीधा आर्थिक मुद्दा बनाकर सरकार को घेरने की रणनीति बना रही है।
- यह आंदोलन 2025 के स्थानीय निकाय चुनावों से पहले विपक्ष को संगठित करने का भी प्रयास माना जा रहा है।
- भूपेश बघेल और अन्य वरिष्ठ नेता इसे “जनविरोधी नीतियों के खिलाफ जन-जागरण” कह रहे हैं।
🔍 भाजपा सरकार का पक्ष (संभावित जवाब)
राज्य सरकार की ओर से अब तक कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है,
लेकिन ऊर्जा विभाग के सूत्रों के अनुसार —
- बिजली बिल में बढ़ोतरी का कारण “पिछले बकाया समायोजन और स्लैब पुनर्गठन” है,
- और “किसी उपभोक्ता पर मनमानी वसूली नहीं की जा रही।”
सरकार यह भी कह सकती है कि कांग्रेस “भ्रम फैलाने की राजनीति” कर रही है।
🧩 राजनीतिक विश्लेषण
राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार:
- यह मुद्दा ग्रामीण और मध्यम वर्गीय परिवारों से सीधे जुड़ा है, जिससे कांग्रेस को जनभावना बनाने में मदद मिल सकती है।
- वहीं भाजपा सरकार के लिए चुनौती होगी कि वह बिजली दरों के औचित्य को स्पष्ट करे और महतारी वंदन जैसी योजनाओं की लोकप्रियता को बनाए रखे।
- यह विवाद आने वाले महीनों में राज्य की राजनीतिक बहस का मुख्य केंद्र बन सकता है।
