- 1 जुलाई से घरेलू टैरिफ में 20 पैसे प्रति यूनिट वृद्धि लागू हुई
- LWE प्रभावित जिलों में मोबाइल टावरों पर 10% छूट दी गई, जिससे कनेक्टिविटी बढ़ेगी
- कांग्रेस ने इसे “जनता पर अत्याचार” बताया है
छत्तीसगढ़ में 1 जुलाई 2025 से बिजली से जुड़े दो बड़े फैसले लागू किए गए हैं:

⚡ 1. घरेलू बिजली दरों में 20 पैसे प्रति यूनिट की वृद्धि
🔹 क्या बदला?
- राज्य विद्युत नियामक आयोग (CSERC) द्वारा जारी आदेश के अनुसार,
- घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बिजली दरें 20 पैसे/यूनिट बढ़ा दी गई हैं।
- यह बढ़ोतरी सभी श्रेणियों के घरेलू उपभोक्ताओं पर लागू है — चाहे वे ग्रामीण हों या शहरी।
🔍 क्यों बढ़ाया गया टैरिफ?
कारण | विवरण |
---|---|
🔧 बिजली उत्पादन लागत में वृद्धि | कोयला, ट्रांसमिशन और मेंटेनेंस खर्च बढ़े |
💡 सब्सिडी भार संतुलन | वितरण कंपनियों को घाटा हो रहा था |
🏭 इंफ्रास्ट्रक्चर सुधार | पुराने ट्रांसफॉर्मर और ग्रिड के आधुनिकीकरण की ज़रूरत |
📊 वित्तीय अनुशासन | राज्य बिजली बोर्ड (CSPDCL) को वित्तीय रूप से सुदृढ़ बनाना |
🎯 असर:
- छोटे उपभोक्ताओं को महीने में ₹10–₹30 तक का अतिरिक्त बोझ
- मध्यम वर्ग और फ्लैट धारकों को ₹50–₹100 तक अधिक भुगतान
- औद्योगिक/व्यावसायिक उपभोक्ताओं पर असर नहीं, केवल घरेलू उपभोक्ताओं के लिए लागू
📡 2. LWE (नक्सल प्रभावित) क्षेत्रों में मोबाइल टावरों पर 10% बिजली शुल्क छूट
📍 कहां लागू होगी?
- सुकमा, बीजापुर, नारायणपुर, दंतेवाड़ा, कांकेर, बस्तर, कोण्डागांव, राजनांदगांव जैसे जिले
- छत्तीसगढ़ के वे क्षेत्र जहाँ नक्सल हिंसा के कारण नेटवर्क विस्तार बाधित रहा है।
🎯 उद्देश्य:
लाभ | उद्देश्य |
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📶 नेटवर्क विस्तार | गांवों में 4G/5G नेटवर्क पहुँचाने के लिए प्रोत्साहन |
🛰️ डिजिटल सेवाओं की पहुंच | ई-शिक्षा, टेलीमेडिसिन, डिजिलॉकर, PM-WANI सुविधा |
📞 आपातकालीन सेवाएं | पुलिस, 108 एम्बुलेंस जैसी सेवाओं की निर्बाध उपलब्धता |
💼 निजी निवेश प्रोत्साहन | टावर कंपनियों को बिजली पर 10% छूट से ऑपरेशन लागत कम |
🗣️ कांग्रेस का विरोध
🔺 आरोप:
“भाजपा सरकार गरीबों के जेब पर डाका डाल रही है। इस बढ़ती महंगाई में बिजली दरों में वृद्धि जनता पर सीधा हमला है।”
- कांग्रेस प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि
“LWE क्षेत्रों में रियायत एक तरफ़ा संतुलन है, जबकि शहरों और गांवों में आम जनता महंगी बिजली भुगत रही है।” - कांग्रेस ने आन्दोलन और विधानसभा में विरोध की चेतावनी दी है।
📊 विश्लेषण: फायदे और नुकसान
पक्ष | लाभ | नुकसान |
---|---|---|
सरकार | वित्तीय सुधार, डिजिटल विस्तार | राजनीतिक विरोध |
जनता | LWE क्षेत्रों में नेटवर्क | शहरी-ग्रामीण उपभोक्ताओं पर आर्थिक भार |
दूरसंचार कंपनियाँ | लागत में छूट | — |
✅ निष्कर्ष
यह दोहरा फैसला एक ओर छत्तीसगढ़ सरकार की राजकोषीय मजबूती और डिजिटल विस्तार की नीति को दर्शाता है, वहीं दूसरी ओर जनता को आर्थिक रूप से थोड़ा बोझिल बनाता है।
LWE ज़ोन में टावर छूट दूरदराज के क्षेत्रों में संचार क्रांति का द्वार खोल सकती है, लेकिन घरेलू उपभोक्ताओं की नाराजगी आने वाले समय में सरकार के लिए चुनौती बन सकती है।