बिजली के 25 बरस: दुर्ग रीजन में भिलाई की चमक से हर गांव के रोशन होने तक का सफर (वर्ष 2000-सितंबर 2025)
दुर्ग जिला जो अविभाजित मध्यप्रदेश में सबसे महत्वपूर्ण माने जाने वाला जिला था, अपनी पहचान मुख्य रुप से भिलाई इस्पात संयंत्र के कारण बना चुका था। यह संयंत्र न केवल भारत के औद्योगिक मानचित्र पर एक चमकता सितारा था, बल्कि इसने दुर्ग-भिलाई के शहरी और अर्धशहरी क्षेत्रों को शुरुआती दौर में ही भरपूर बिजली और आधुनिकता दी। हालाकि इस औद्योगिक चमक के नीचे एक विरोधाभास छिपा था कि शहरों में जहॉं बिजली की बहुतायत थी, वहीं अविभाजित दुर्ग जिले जिसमें बालोद एवं बेमेतरा जिला भी शामिल था, के कई दूर-दराज गॉंव अभी भी बिजली की पहुंच से दूर थे और जिन क्षेत्रों में बिजली थी जैसे कि पाटन, बालोद, बेमेतरा, साजा एवं बेरला और आसपास के गांव भी लो-वोल्टेज, ओवरलोडिंग एवं विद्युत कटौती की अत्याधिक गंभीर समस्याओं से त्रस्त थे। इस बिजली संकट का सबसे गहरा असर कृषक वर्ग पर पड़ा। दुर्ग क्षेत्र जो कृशि प्रधान है, के किसानों को कृशि पंप चलाने में भारी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता था।

वर्ष 2000 में छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद से 2025 तक का सफर दुर्ग रीजन (दुर्ग, बालोद, बेमेतरा जिले) के लिए बिजली के क्षेत्र में अभूतपूर्व परिवर्तन का काल रहा। इन 25 वर्षों में छत्तीसगढ़ स्टेट पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड (CSPDCL) के तहत वितरण नेटवर्क के विस्तार, आधुनिकीकरण और उपभोक्ताओं को बेहतर सेवा देने की दिशा में तेजी से प्रगति हुई है।
केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं, जैसे कि राजीव गांधी ग्रामीण राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना (RGGVY) और दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (DDUGJY) ने दुर्ग रीजन के विद्युतीकरण को गति प्रदान की। राज्य गठन के बाद सिर्फ गांव तक बिजली पहुंचाना ही नहीं, बल्कि सौभाग्य योजना के अंतर्गत हर घर को कनेक्शन मिलना भी सुनिश्चित किया गया, जिसके परिणामस्वरुप वर्तमान स्थिति में दुर्ग रीजन(दुर्ग, बालोद, बेमेतरा जिला) में घरेलू बिजली कनेक्शन की दर लगभग 100 प्रतिशत है।
वर्श 2000 से सितंबर 2025 तक बिजली वितरण में हुई उल्लेखनीय वृद्धि – वर्ष 2000 से सितंबर 2025 तक के बिजली वितरण नेटवर्क के विस्तार और क्षमता में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। निम्न आंकड़ा इस अवधि में हुए तीव्र बुनियादी ढांचे के विकास और विद्युतीकरण के सफल प्रयासों को उजागर करता है।
विवरण वर्ष 2000 वर्ष 2025 सितंबर वृद्धि
वितरण ट्रांसफार्मरों की संख्या 4787 34367 7 गुणा से अधिक
33 केवी लाईनों की लंबाई 885.32 किमी 3311.50 किमी लगभग 4 गुणा
11 केवी लाईनों की लंबाई 4758.22 किमी 15842.45 किमी 03 गुणा से अधिक
33/11 केवी उपकेन्द्रों की संख्या 39 195 5 गुणा
अति उच्चदाब कंेद्रों की संख्या 03 19 06 गुणा से अधिक
कृशि पंपों की संख्या 19615 121355 06 गुणा से अधिक
एलटी लाईनों की लंबाई 9460 किमी 36715.25 किमी लगभग 4 गुणा
कुल विद्युतीकृत गांव – 1760 (सभी ग्राम) शत-प्रतिशत
संभाग 05 09 लगभग दोेगुनी
उपसंभाग 12 19 वृद्धि
वितरण केंद्र 43 62 वृद्धि
कुल उच्चदाब कनेक्शन 83 660 लगभग 08 गुणा
कुल निम्नदाब कनेक्शन 355312 987708 लगभग ढाई गुणा
नेटवर्क विस्तार से न केवल घरेलू उपभोक्ताओं को लाभ मिला बल्कि कृषि और औद्योगिक क्षेत्र भी मजबूत हुए। कृषि पंपों की संख्या 06 गुणा से अधिक (19615 से 1,21,355) बढ़ी है, जो कृषि क्षेत्र के विद्युतीकरण पर विशेष ध्यान केंद्रित किए जाने का प्रमाण है। रीजन मंे उच्च दाब (एचटी) उपभोक्ताओं की संख्या इन 25 वर्षों में 83 से बढ़कर 656 हो गई। औद्योगिक विकास और शहरीकरण की बढ़ती गति को बनाए रखने के लिए सीएसपीडीसीएल ने लाइनों के रखरखाव और निर्माण पर जोर दिया, जिससे उद्योगों को लगभग चौबीस घंटे सातों दिन बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित हो सके। एलटी उपभोक्ताओं की संख्या 355312 से लगभग ढाई गुणा बढ़कर 981735 हो गई। आज की तारीख में एलटी उपभोक्ताओं को वार्षिक 2010.23 करोड़ एवं एचटी उपभोक्ताओं को 1539.12 करोड़ की बिजली बेची जा रही है। वितरण ट्रांसफार्मरों और 33/11 केवी उपकेन्द्रों की संख्या में क्रमशः 07 गुणा से अधिक और 05 गुणा की वृद्धि हुई है, जो नेटवर्क की क्षमता और विश्वसनीयता में बड़े सुधार को दर्शाती है। 33 केवी और एलटी लाईनों की लंबाई में लगभग 04 गुणा की वृद्धि हुई है, जिससे दूर-दराज के क्षेत्रों तक बिजली पहुंचना संभव हुआ है। दुर्ग, बालोद एवं बेमेतरा जिले के सभी 1760 ग्रामों का विद्युतीकरण हो चुका है, जो इस अवधि की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि है। संभाग, उपसंभाग और वितरण केंद्रों की संख्या में भी वृद्धि हुई है, जो बढ़े हुए नेटवर्क के कुशल प्रबंधन को सुनिश्चित करने के लिए प्रशासनिक ढांचे के विस्तार को दर्शाता है। यह आंकड़ा स्पष्ट रूप से बिजली वितरण के क्षेत्र में एक बड़ी छलांग को दर्शाता है, जिससे अधिक उपभोक्ताओं तक गुणवत्तापूर्ण बिजली की पहुंच संभव हुई है।
पिछले एक दशक में, रीजन में बिजली के क्षेत्र में सबसे बड़ा बदलाव तकनीकी आधुनिकीकरण और उपभोक्ता-केंद्रित सेवाओं के रूप में आया है। हाल के वर्षों में स्मार्ट मीटर लगाने की परियोजना एक बड़ा कदम है। भारत सरकार की आरडीएसएस योजना के तहत, ये स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं को बिजली की खपत की सटीक जानकारी ‘‘मोर बिजली’’ ऐप के माध्यम से हर आधे घंटे में उपलब्ध करा रहे हैं। इससे बिलिंग में पारदर्शिता आई है और मानवीय त्रुटियां कम हुई हैं। यह उपभोक्ताओं को अपनी बिजली खपत को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने में भी मदद करता है।
डिजीटल सेवाएं प्रदान करने मंे भी विद्युत कंपनी ने तरक्की की है। बिजली बिल का भुगतान, नए कनेक्शन के लिए आवेदन और शिकायत निवारण जैसी सेवाएं पूरी तरह से डिजिटल हो गई हैं, जिससे उपभोक्ताओं को बिजली विभाग के कार्यालयों में जाने की आवश्यकता कम हो गई है।
वर्ष 2025 तक, दुर्ग की बिजली व्यवस्था अब केवल पारंपरिक स्रोतों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि नवीकरणीय ऊर्जा की ओर भी बढ़ रही है। सरकार द्वारा दी जा रही सब्सिडी के कारण घरों और व्यवसायों में ‘‘प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना’’ के तहत सोलर रूफटॉप सिस्टम लगाने का चलन बढ़ रहा है।
दुर्ग जिले का यह सफर, भिलाई की औद्योगिक रोशनी से शुरु होकर हर गांव के घर को रोशन करने तक, भारत की विकास यात्रा का उत्कृष्ट उदाहरण है। यह सफर स्पष्ट रुप से दर्शाता है कि राज्य निर्माण के शुरुआती वर्षों में जहाँ बिजली को हर घर तक पहुँचाने पर जोर था, वहीं बाद के वर्षों में आपूर्ति की गुणवत्ता, विश्वसनीयता और उपभोक्ता सेवाओं को बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित किया गया। स्मार्ट मीटर, ऑनलाइन सेवाएं और सौर ऊर्जा की ओर रुझान, यह दर्शाता है कि दुर्ग की बिजली व्यवस्था एक आधुनिक, कुशल और भविष्य के लिए तैयार ग्रिड की दिशा में अग्रसर है।
प्रेषक
श्रीमती माया चंद्राकर,
प्रकाशन अधिकारी,
(दुर्ग रीजन)
छत्तीसगढ़ स्टेट डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी,

