कोरबा: चैत्र नवरात्रि के पहले दिन कोरबा के मां सर्वमंगला मंदिर में भारी संख्या में भक्तों का जनसैलाब दिखा. मंदिर परिसर में हजारों की तादाद में मनोकामना ज्योति कलश प्रज्ज्वलित किए गए. चैत्र नवरात्रि के दिन दूसरे पहर में इन मनोकामना ज्योति कलश को प्रज्वलित किया गया. इस बार ज्योति कलश के लिए सऊदी अरब से भी पर्ची काटी गई है.

मंदिर परिसर में लगी भक्तों की कतार:नवरात्रि जैसे खास अवसर पर इस मंदिर में भक्तों की भीड़ बढ़ जाती है. भक्त लगभग 2000 मीटर से भी लंबी दूरी तक कतारबद्ध होकर माता के दर्शन को खड़े रहते हैं. इस बार भी, हर बार की तरह मंदिर में खास तरह की सजावट की गई है. साज सज्जा के साथ मंदिर में लाल चुनरी, फूल, नारियल के साथ ही कई तरह की सजावट देखने को मिल रही है.
ब्रिटिशकाल में बना कोरबा का सर्वमंगला मंदिर, यहां होती है हर मुराद पूरी
कोरबा के सर्वमंगला मंदिर में चैत्र नवरात्रि के पहले दिन भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिली. इस बार मंदिर में सउदी अरब से ज्योति कलश के लिए पर्ची काटी गई है.अन्य जगहों से भी मां सर्वमंगला मंदिर में ज्योति कलश की बुकिंग की गई है.

सर्वमंगला मंदिर में मनोकामना होती है पूरी !
कोरबा:चैत्र नवरात्रि के पहले दिन कोरबा के मां सर्वमंगला मंदिर में भारी संख्या में भक्तों का जनसैलाब दिखा. मंदिर परिसर में हजारों की तादाद में मनोकामना ज्योति कलश प्रज्ज्वलित किए गए. चैत्र नवरात्रि के दिन दूसरे पहर में इन मनोकामना ज्योति कलश को प्रज्वलित किया गया. इस बार ज्योति कलश के लिए सऊदी अरब से भी पर्ची काटी गई है.
मंदिर परिसर में लगी भक्तों की कतार:नवरात्रि जैसे खास अवसर पर इस मंदिर में भक्तों की भीड़ बढ़ जाती है. भक्त लगभग 2000 मीटर से भी लंबी दूरी तक कतारबद्ध होकर माता के दर्शन को खड़े रहते हैं. इस बार भी, हर बार की तरह मंदिर में खास तरह की सजावट की गई है. साज सज्जा के साथ मंदिर में लाल चुनरी, फूल, नारियल के साथ ही कई तरह की सजावट देखने को मिल रही है.
रानी धनराज कुंवर के पूर्वजों ने कराया था इस मंदिर का निर्माण : कोरबा का सर्वमंगला मंदिर पुरातात्विक दृष्टिकोण से भी काफी महत्वपूर्ण है. कहते हैं कि, ब्रिटिश शासन के दौरान कोरबा पर शासन करने वाली रानी धनराज कुंवर के पूर्वजों ने इस मंदिर को बनवाया था. एक कहानी यह भी है कि यह मंदिर हसदेव नदी के तट पर स्थित है. यहीं से एक सुरंग नदी के उस पार निकलती है. आपात परिस्थितियों में रानी इस सुरंग के जरिए नदी पार करती थी.