रायपुर l प्राइम सिटी मुजगहन की महिलाओं ने आज परंपरागत श्रद्धा और उत्साह के साथ कमरछठ (हलषष्ठी) व्रत का आयोजन अपने गार्डन ग्राउंड में किया। संतान की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना के इस पर्व में महिलाओं ने निर्जला व्रत रखकर विशेष पूजा-अर्चना की।

पूजन कार्यक्रम का विधिवत संचालन पंडित राकेश्वर पांडे द्वारा कराया गया। इस दौरान महिलाओं ने सगरी पूजन के साथ पारंपरिक रीति-रिवाज निभाए और पसहर चावल, भैंस का दूध-दही-घी एवं छह प्रकार की भाजी का प्रसाद चढ़ाया।
कमरछठ का पर्व महत्व..
- यह व्रत भाद्रपद कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है, जो रक्षा बंधन के लगभग छह दिन बाद पड़ता है।
- यह पर्व माता—विशेषकर दंपत्तियों और महिलाएं—अपने बच्चों की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना के लिए निर्जला व्रत रखकर मनाती हैं।
धार्मिक एवं सांस्कृतिक मान्यताएँ
- ज्योतिष के अनुसार इस पावन तिथि पर बलराम जी का जन्म हुआ था, जिनका प्रमुख आभूषण हल (अर्थात कृषि उपकरण) है, इसलिए इसे हलषष्ठी के नाम से जाना जाता है।
- पारंपरिक पूजा-अर्चना में “सगरी” नामक मिट्टी का तालाब बनाकर उसे पुष्प-पत्तियों से सजाया जाता है। इसमें विशेष तर्पण विधि के साथ छ: (6) अंक का महत्व होता है—जैसे छ: प्रकार का भोग, छ: कपड़े, छ: बार पानी, छ: बार थपकी (“पोटी मारना”) आदि।
- “सगरी” में छ: कपड़े डुबाकर माताएँ संतान की कमर पर छ: बार थपकी देती हैं, जिसे “पोटी मारना” कहा जाता है—मातृत्व की सुरक्षा और आशीर्वाद का प्रतीक।

व्रत व पूजा विधि
- व्रती माताएँ निर्जला व्रत रखती हैं। व्रत के दौरान उपयोग में लाए जाने वाले खाद्य पदार्थ बिना हल जोते (जैसे पसहर चावल) होने चाहिए।
- पूजा में गाय का नहीं, बल्कि भैंस का दूध, दही और घी ही ग्रहण किया जाता है।
- भोजन में पसहर चावल (लाल चावल) और छ: प्रकार की सब्जियाँ, साथ ही दूध, दही, गुड़ आदि शामिल होते हैं। स्वास्थ्य व समृद्धि का प्रतीक।
- सुबह स्नान के बाद सूर्य को जल अर्पित करके व्रत का संकल्प लिया जाता है और शाम या मध्यान्ह को पूजा सम्पन्न की जाती है।
त्योहार की कथा और सांस्कृतिक अर्थ
- यह पर्व वस्तुतः मातृभक्ति और संस्कारों का प्रतीक है। व्रती महिलाओं के मनोबल और परिवार से जुड़ी भावनाओं को यह उत्सव पुष्ट करता है।
- इसके साथ एक लोककथा भी जुड़ी है जिसमें “हरछठ माता” (ललही छठ) नामक एक गर्भवती ग्वालिन की कथा वर्णित है—जो अपनी संतान की रक्षा हेतु सत्य और धर्म का पालन करती है।
सारांश तालिका
पहलू | विवरण |
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नाम | कमरछठ / हलषष्ठी व्रत |
तिथिगत समय | भाद्रपद कृष्ण षष्ठी — 14/8/2025 |
प्रमुख उद्देश्य | संतान की लंबी आयु, सुख-समृद्धि |
पूजा सामग्री | पसहर चावल, भैंस का दूध-दही-घी, 6 प्रकार की भाजी |
सगरी विधि | मिट्टी का तालाब, छ: बार पानी, छ: कपड़े, छ: थपकी |
मौखिक कथा | हरछठ/ललही छठ कथा—ग्वालिन और शुद्धता की कहानी |
कार्यक्रम में उपस्थित महिलाओं ने सामूहिक भजन-कीर्तन कर वातावरण को भक्तिमय बना दिया। व्रत सम्पन्न होने के बाद प्रसाद वितरण किया गया।