पीएम मोदी ने उन्हें भारतीय सिनेमा की “प्रतिष्ठित आइकन” बताया।
निधन का विवरण
- उनकी उम्र 87 वर्ष थी और वे उम्र संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रही थीं। उन्हें घर पर बेहोश पाया गया, अस्पताल ले जाया गया जहाँ उन्हें मृत घोषित कर दिया गया ।
- कहा जाता है कि यह देहांत शांतिपूर्वक हुआ और घरेलू वातावरण में ही अंतिम बिंदु पर पहुंचा।

🎥 करियर और मान-सम्मान
- 1955 में 17 वर्ष की आयु में महाकवि कालिदास से उन्होंने अभिनय की शुरुआत की की और सात दशकों में चार भाषाओं (कन्नड़, तमिल, तेलुगु, हिंदी) में लगभग 200 फिल्मों में काम किया
- उन्हें कन्नड़ फिल्मों की पहली महिला सुपरस्टार के रूप में देखा जाता था, और तमिल में वो “चतुरभाषा तारे” के नाम से जानी गईं ।
- प्रतिष्ठित उनके उपनाम: “अभिनय सरस्वती” (कन्नड़ में) और “कन्नडातु पैनगिलि” (तमिल में) ।
🏆 सम्मान और पुरस्कार
- पद्म श्री (1969) और पद्म भूषण (1992) से सम्मानित;
- काश्म जिले की इएमेरिटस डॉक्टरेट (बैंगलोर यूनिवर्सिटी), तमिलनाडु का कलाइममानी, कर्नाटक का राज्योत्सव, एनटीआर, और कई अन्य प्रतिष्ठित पुरस्कार उनके नाम रहे ।
- 2008 में भारत सरकार द्वारा लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड दिया गया, और 2010 से “पद्म भूषण बी. सरोजा देवी नेशनल अवॉर्ड” हर साल देकर कलाकारों को सम्मानित किया जाता है ।
👥 शोक संदेश
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें “भारतीय सिनेमा और संस्कृति की एक आदर्श-प्रतीक” बताया और कहा कि “उनकी विविध भूमिकाएँ पीढ़ियों को प्रभावित करती रहीं… ओम् शांति” ।
- कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने उनके अन्तिम संस्कार को राजकीय सम्मान के साथ करने की घोषणा की और उन्हें “भारतीय सिनेमा और संस्कृति के लिए एक गहरा क्षति” बताया ।
- तमिल और कन्नड़ फिल्मी सितारों ने भी भावुक श्रद्धांजलि दी; शिवराजकुमार ने कहा कि उन्होंने उन्हें “एक माँ” की तरह देखा और कहा कि “ऐसे प्यार करने वाले इंसान को कभी नहीं भुलाया जा सकता” ।
📍 अंतिम संस्कार
- अंतिम संस्कार बेंगलुरु के मल्लेश्वरम/दशवारा (परिवारिक गांव, चन्नपटना तालुक) में 15 जुलाई 2025 को राजकीय सम्मान के साथ संपन्न हुआ ।
🎞️ सांस्कृतिक विरासत
- उन्हें अब तक का सबसे बड़ी मल्टी-लिंगुअल अभिनेत्री माना जाता था – कन्नड़, तमिल, तेलुगु, हिंदी एवं श्रीलंका फिल्मों में काम करने वाली;
- महाकवि कालिदास, नदोडी मन्नन, कित्तुर चेंननम्मा जैसे क्लासिक्स उन्हें चार भाषाओं में मशहूर बनाने वाले प्रमुख कार्य हैं ।
- उन्होंने फिल्मों के पीछे सामाजिक कार्य भी किया—विशेषकर अनाथ बच्चों के लिए सहायता और धर्मार्थ संस्थानों में योगदान के लिए जानी जाती थीं ।
📌 सारांश
पहलू | जानकारी |
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उम्र | 87 वर्ष |
निधन की तिथि | 14 जुलाई 2025 |
जन्म – मृत्यु | 7 जनवरी 1938 – 14 जुलाई 2025 |
फ़िल्में | ≈200, 4+ भाषाओं में |
प्रमुख परिचय | पहली कन्नड़ महिला सुपरस्टार, “अभिनय सरस्वती” |
पुरस्कार | पद्म श्री, पद्म भूषण, लाइफटाइम अचीवमेंट |
सम्मान | पीएम मोदी व सीएम के साथ रेडियो-फिल्म जगत की श्रद्धांजलि |
बी. सरोजा देवी का देहांत भारतीय सिनेमा के स्वर्णिम युग की समाप्ति जैसा है। उन्होंने मात्र अभिनय नहीं किया; उन्होंने फ़िल्मों में जीवन दिया—एक ऐसी विरासत छोड़ी, जिसे सदियों तक याद रखा जाएगा।