वह छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट, बिलासपुर में चल रहे एक जनहित याचिका (PIL) और स्वतः संज्ञान (suo motu) मामले से जुड़ी है। इसका संबंध त्यौहारों, शादी-ब्याह और अन्य सामाजिक आयोजनों में डीजे (DJ) और साउंड सिस्टम से होने वाले ध्वनि प्रदूषण से है। आइए इसे विस्तार से समझते हैं:
मामला कैसे शुरू हुआ?
- रायपुर की एक नागरिक समिति ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी।
- इसमें कहा गया कि त्यौहारों और निजी आयोजनों में बजने वाले डीजे/साउंड सिस्टम कानफोड़ू शोर करते हैं, जिससे आम जनता, मरीजों, बुजुर्गों और विद्यार्थियों को परेशानी होती है।
- इस मुद्दे पर मीडिया में लगातार खबरें आने लगीं, जिसके बाद हाईकोर्ट ने भी स्वतः संज्ञान (सुप्रीम कोर्ट के आर्टिकल 226 के तहत अधिकार का उपयोग करते हुए) लिया और सुनवाई शुरू की।
सरकार का रुख और कोर्ट की नाराज़गी
- राज्य सरकार ने कोर्ट से कहा कि वह कोलाहल नियंत्रण अधिनियम (Noise Pollution/Control Law) लागू करने के लिए 6 हफ्ते का समय चाहती है।
- लेकिन मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा ने नाराज़गी जताई और साफ कहा कि “अब और देरी नहीं चलेगी।”
- कोर्ट ने सरकार को सिर्फ 3 सप्ताह का समय दिया और अगली सुनवाई की तारीख 9 सितंबर 2025 तय की।
कोलाहल नियंत्रण अधिनियम (Noise Pollution Control Law) क्या है?
- यह कानून ध्वनि प्रदूषण पर स्पष्ट नियंत्रण करेगा।
- इसमें तय होगा कि किस समय, किस वॉल्यूम पर, और कहाँ तक डीजे/साउंड सिस्टम बजाया जा सकता है।
- उल्लंघन पर भारी जुर्माना और कार्रवाई की व्यवस्था होगी।

प्रस्तावित पेनाल्टी और कार्रवाई
- हाईकोर्ट की सख़्ती के बाद प्रशासन ने संकेत दिया है कि नियम तोड़ने वालों पर 5 लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
- डीजे या आयोजक जो बिना अनुमति या तय सीमा से ज्यादा डेसिबल पर ध्वनि बजाएंगे, उन पर FIR, उपकरण जब्ती और पेनाल्टी होगी।
- त्योहारों (जैसे गणेशोत्सव, दुर्गा पूजा, बारात, जन्मदिन पार्टियाँ आदि) में लाउड डीजे/बॉक्स बंद रहेंगे, केवल तय सीमा और अनुमति अनुसार साउंड सिस्टम बज सकेगा।
कोर्ट की टिप्पणी
- हाईकोर्ट ने कहा कि ध्वनि प्रदूषण मौलिक अधिकार (Article 21 – Right to Life) का उल्लंघन है।
- त्यौहार मनाने का अधिकार सबको है, लेकिन इससे दूसरों की शांति और स्वास्थ्य पर असर नहीं पड़ना चाहिए।
- “शासन की उदासीनता” पर भी कोर्ट ने नाराज़गी जताई और कहा कि बार-बार समय मांगकर कानून लागू करने में देरी नहीं हो सकती।
आम जनता पर असर
- अब आने वाले त्यौहारों (गणेशोत्सव, नवरात्रि, दशहरा, दीपावली आदि) में डीजे और कानफोड़ू साउंड का इस्तेमाल रोकने की तैयारी है।
- अगर कोई आयोजक ज़िद करेगा या नियम तोड़ेगा, तो भारी जुर्माना, उपकरण जब्ती और कानूनी कार्रवाई होगी।
- इस क़दम से अस्पतालों, स्कूल-कॉलेजों, बूढ़ों-बच्चों को राहत मिलने की उम्मीद है।
👉 कुल मिलाकर, हाईकोर्ट ने स्पष्ट संदेश दिया है कि ध्वनि प्रदूषण पर अब समझौता नहीं होगा। 3 हफ्तों में छत्तीसगढ़ सरकार को कोलाहल नियंत्रण अधिनियम लागू करना ही पड़ेगा, वरना कड़ी कार्रवाई होगी।