छत्तीसगढ़ पुलिस ने तीन लापता बच्चों को रायपुर से सकुशल बरामद कर लिया है, जो कथित रूप से दूसरे राज्य में मजदूरी करने के लिए निकले थे। बच्चों की सुरक्षित वापसी से उनके परिजनों ने राहत की गहरी सांस ली, और पुलिस की तत्पर कार्रवाई की सराहना की जा रही है।

🔹 क्या हुआ था मामला?
- बीते सप्ताह बालोद जिले के एक गाँव से 13 से 15 वर्ष की उम्र के 3 बच्चे अचानक लापता हो गए थे।
- परिजनों ने पुलिस थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी, जिसके बाद बालोद पुलिस और बाल संरक्षण अधिकारी सक्रिय हो गए।
🚨 पुलिस कार्रवाई:
- पुलिस ने साइबर सेल, रेलवे स्टेशनों, और बस स्टैंड्स पर तलाशी अभियान चलाया।
- CCTV फुटेज और मोबाइल लोकेशन ट्रेसिंग से पता चला कि बच्चे रायपुर पहुंचे हैं।
- रायपुर के रावणभाठा क्षेत्र से तीनों को सुरक्षित बरामद किया गया।
🧒 बच्चों की मंशा क्या थी?
- पूछताछ में बच्चों ने बताया कि वे दूसरे राज्य में मजदूरी करने जा रहे थे, जिससे परिवार की आर्थिक स्थिति में मदद कर सकें।
- किसी स्थानीय एजेंट या दलाल के संपर्क में आने की संभावना से इनकार नहीं किया जा रहा।
- बच्चों के पास बंद बैग, सूखे खाद्य पदार्थ, और कुछ नकदी भी मिली।
👨👩👧👦 परिजनों की प्रतिक्रिया:
- बच्चों की बरामदगी के बाद परिवार वालों की आँखें नम हो गईं।
- उन्होंने पुलिस को धन्यवाद दिया और कहा कि: “हमने उम्मीद छोड़ दी थी… लेकिन पुलिस ने हमारा भरोसा लौटा दिया।”
🔸 प्रशासन की अगली कार्रवाई:
- बच्चों को बाल कल्याण समिति (CWC) के समक्ष प्रस्तुत किया गया।
- उनके परिवार की आर्थिक स्थिति की सामाजिक रिपोर्ट तैयार की जा रही है।
- संभावना है कि प्रशासन मनरेगा, शिक्षा व स्कॉलरशिप योजनाओं के तहत सहायता देगा।
📢 संदेश और चेतावनी:
- पुलिस ने अभिभावकों से अपील की कि वे बच्चों पर ध्यान रखें, और किसी भी संदिग्ध व्यक्ति से संपर्क की सूचना तुरंत दें।
- साथ ही, बच्चों को मजदूरी के लिए भेजना बाल श्रम कानून का उल्लंघन है, और ऐसे मामलों में कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
✅ निष्कर्ष:
यह घटना एक बार फिर यह उजागर करती है कि गरीबी, लाचारी और ग़लत जानकारी के चलते नाबालिग बच्चे जोखिम उठाते हैं। पुलिस की तत्परता और संवेदनशीलता ने एक संभावित संकट को टाल दिया है।