गुरु घसिदास केंद्रीय विश्वविद्यालय ने TRKC के साथ आदिवासी शोध को बढ़ावा देने के लिए MoU पर हस्ताक्षर किए विश्वविद्यालय और ट्राइबल रिसर्च एवं नॉलेज सेंटर, नई दिल्ली, ने तीन साल की साझेदारी की घोषणा की। इसमें क्षेत्रीय अनुसंधान, प्रशिक्षण कार्यक्रम, कार्यशालाएँ, और जन जागरूकता पहलें शामिल हैं, विशेष ध्यान बस्तर और सुकमा क्षेत्रों पर।
- गुरु घसिदास केंद्रीय विश्वविद्यालय (GGU), बिलासपुर और ट्राइबल रिसर्च एंड नॉलेज सेंटर (TRKC), नई दिल्ली ने एक MoU पर हस्ताक्षर किए।
- समझौते की अवधि 3 साल तय की गई है।

🎯 उद्देश्य
- आदिवासी समुदायों पर गहन शोध
- खासकर बस्तर और सुकमा जैसे आदिवासी बहुल क्षेत्रों पर फोकस।
- सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और शैक्षिक पहलुओं की स्टडी।
- क्षेत्रीय अनुसंधान को बढ़ावा
- फील्ड सर्वे, डेटा कलेक्शन और पब्लिकेशन।
- आदिवासी परंपराओं, कला और संस्कृति का डॉक्युमेंटेशन।
- प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण
- छात्रों, शोधार्थियों और स्थानीय युवाओं के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम।
- आधुनिक रिसर्च मेथड्स, डेटा एनालिसिस और कम्युनिटी एंगेजमेंट स्किल्स सिखाना।
- कार्यशालाएँ और जन-जागरूकता
- स्थानीय समुदायों में शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और पर्यावरण विषयों पर वर्कशॉप।
- नशा-मुक्ति, महिला सशक्तिकरण और सतत विकास पर कैंपेन।
🤝 इस साझेदारी से संभावित लाभ
- 🎓 विश्वविद्यालय → छात्रों और शोधार्थियों को ग्राउंड लेवल डेटा व एक्सपीरियंस मिलेगा।
- 🏞️ आदिवासी समाज → उनकी समस्याओं की बेहतर समझ बनेगी और पॉलिसी लेवल पर मदद होगी।
- 📑 नीति-निर्माण → राज्य और केंद्र सरकार के लिए रिसर्च रिपोर्ट्स से नीति सुधार का आधार मिलेगा।
- 🌍 सांस्कृतिक संरक्षण → बस्तर और सुकमा की आदिवासी कला, संस्कृति और भाषा के संरक्षण को मजबूती।
🗣️ आगे की योजना
- पहले चरण में बस्तर और सुकमा के 20 गाँवों में पायलट रिसर्च शुरू किया जाएगा।
- अगले चरण में शोध के आधार पर रिसर्च पेपर, किताबें और नीति सिफारिशें तैयार होंगी।
- विश्वविद्यालय के छात्र भी इन फील्ड प्रोजेक्ट्स में सीधे शामिल होंगे।
👉 कुल मिलाकर यह MoU अकादमिक रिसर्च + सामाजिक विकास + आदिवासी सशक्तिकरण को जोड़ने वाला कदम है।