- हास्य जगत के दिग्गज जॉनी लीवर ने वर्तमान में लोकप्रिय हास्य-संस्कृति पर टिप्पणी करते हुए कहा कि आजकल के कॉमेडियन कई बार अश्लीलता और डबल-मीनेिंग जोक्स पर निर्भर करते हैं। उन्होंने कहा कि वे मूल प्रतिभा में कहीं पीछे रह गए हैं और खुद अपना मौलिक अंदाज़ खो चुके हैं।
प्रमुख व्यंग्यपूर्ण टिप्पणी
- उन्होंने स्पष्ट किया कि आजकल के कॉमेडियन और अभिनेता अक्सर अश्लीलता और डबल‑मीनेिंग जोक्स पर निर्भर करते हैं, जिससे मूल प्रतिभा और शुद्ध हास्य शैली पीछे रह गई है। वे बोले:
“They copy and think chal jayega … they have no aukaat to stand before us.” यानी नकल करने वाले कलाकार वास्तविक सिनेमाई कौशल में खरे नहीं उतरते - उन्होंने यह भी कहा कि पश्चिमी फिल्मों की भाषा और हास्य शैली की नकल की जा रही है, जिससे भारतीय क्लीन कॉमेडी का स्तर गिर गया है और हास्य में “सस्ते शॉक वैल्यू” का प्रभुत्व हो गया है।
📺 आधुनिक हाल‑चाल: कॉमेडी का बदलता स्वरूप
- स्टैंड‑अप कॉमेडी के बारे में उन्होंने कहा कि इसमें ज्यादातर सामग्री डबल अर्थ वाले चुटकुलों और अश्लीलता पर आधारित रहती है, जबकि पारंपरिक हास्य में कला, प्रतिभा और आत्मीयता होती थी।
- Lever ने करारा तर्क दिया: “If they are really talented, I challenge them—say something clean and still make people laugh. That is the real test.”
यानी असली कलाकार बिना ग़न्दे शब्दों के भी हास्य पैदा कर सकते हैं
📉 पुराने जमाने की क्लीन-ह्यूमर विरासत
- Lever ने कहा कि वे पारिवारिक दर्शकों (family audience) के लिए भी जवाबदेही महसूस करते हैं, इसलिए क्लीन हास्य उनका फ़ैसला होता है।
- उन्होंने पीएम पुचकारा कि पहले के Mehmood Ali, Kishore Kumar जैसे कलाकार प्रदर्शन (body language और वाणी के संयोजन) पर ध्यान देते थे।
आज के कलाकार सिर्फ punch lines और dialogues पर भरोसा करते हैं—जिससे कॉमिक टाइमिंग और कला में गिरावट आई है। ऐसा केवल टिप्पणी ही नहीं है, बल्कि यह Lever की कॉमेडी की आत्मा के लिए एक चिंता का विषय भी है - Lever ने इसे फ़ास्ट फूड कॉमेडी का रूप दिया है:
“Earlier it was like serving a thाली… now it’s like picking up super quick burger and cold drink.”
यानी पहले कॉमेडी समृद्ध, संतुलित और विस्तृत हुआ करती थी—आज सरल, त्वरित पर निर्भरता बढ़ गई है
🧠 निष्कर्ष
- मुख्य आलोचना: आधुनिक कॉमेडी में हास्य से कहीं अधिक पुश‑टू‑शॉक वैल्यू पर ध्यान है।
- Lever ने हास्य की गुणवत्ता, लेखन की गहराई, और प्रदर्शन (performance art) की कमी को गंभीर मुद्दा बताया है।
- उन्होंने स्पष्ट चुनौती दी कि यदि नए कलाकार सच में हास्य में माहिर हैं, तो क्लीन हास्य के माध्यम से भी दर्शकों को हँसा सकते हैं।
- वे स्वयं अब औसत और अर्थहीन भूमिकाएँ लेने से बचते हैं, क्योंकि वे अपनी कंगाली विरासत और दर्शकों से जुड़ाव बनाए रखना चाहते हैं ।
🧾 सारांश तालिका
घटक | विवरण |
---|---|
आलोचना का मूल | अश्लीलता, डबल-मीनेिंग, हॉलीवुड नकल |
शाब्दिक पंक्ति | “no aukaat to stand before us”, “They copy and think chal jayega” |
क्लीन कॉमेडी का पक्ष | पारिवारिक दर्शकों तक पहुंच, नैतिक जिम्मेदारी |
पुरानी और नई शैली | पहले: thali‑style कॉमेडी; अब: fast‑food जैसा हॉरर‑जोम |
चुनौती | “Clean हो कर हंसाना है? दिखाओ!” |
Lever का दृष्टिकोण | गुणवत्ता, पढ़े‑लिखे हास्य लेखन, प्रतिभा |