बलौदाबाजार जिले में भी कसडोल विकासखंड के ग्राम तुरतुरिया को भूला नहीं जा सकता है, जहां स्थित महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में माता सीता की तपस्या, लव-कुश का जन्म और उनका पालन-पोषण होना बताया जाता है.
मंदिर के पुजारी राम बालक दास ने बताया कि यहां पर प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में लोग आते हैं, और माताजी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. यह बाल्मीकि आश्रम के नाम से जाना जाता है, और यहां पर लव-कुश का जन्म होना बताया जाता है. यहां माता सीता ने तपस्या की थी. आज बहुत अच्छा लग रहा है कि अयोध्या में रामलला की स्थापना हो रही है, वहीं तुरतुरिया का भी नवीनीकरण हो रहा है.आज छत्तीसगढ़ में जहां-जहां भगवान राम के चरण पडे़ हैं, उनको शासन ‘राम वन पथ गमन’ के माध्यम से बनवा रही है.गौरव का विषय है कि 500 साल बाद भगवान राम के बालस्वरूप की मूर्ति अयोध्या में स्थापित होने जा रही है, और उनके पुत्रों के छत्तीसगढ़ में जन्म व उनकी माता कौशल्या का मायके होने से और भी महत्व बढ़ गया है.
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