- राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाल ही में जारी किए गए संशोधित निर्देशों की सराहना की, जो आवारा कुत्तों के कल्याण और सार्वजनिक सुरक्षा के बीच एक संवेदनशील और वैज्ञानिक संतुलन स्थापित करने का प्रयास करते हैं। उन्होंने इसे “संवेदनशील दृष्टिकोण” बताया।
पृष्ठभूमि
- भारत में आवारा कुत्तों (Stray Dogs) की संख्या करोड़ों में है।
- इनके कारण काटने के मामले, रेबीज़ संक्रमण और सार्वजनिक सुरक्षा को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है।
- दूसरी ओर, पशु अधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि आवारा कुत्तों को मारना या अमानवीय तरीके अपनाना संवैधानिक और नैतिक रूप से गलत है।

⚖️ सुप्रीम कोर्ट का हालिया आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में आवारा कुत्तों से जुड़े मामलों पर संशोधित गाइडलाइंस जारी कीं। इसमें दो पहलुओं के बीच संतुलन बनाने की कोशिश की गई —
- मानव सुरक्षा:
- स्कूलों, अस्पतालों और सार्वजनिक जगहों पर आवारा कुत्तों को अनियंत्रित न घूमने देने के निर्देश।
- काटने की घटनाओं पर त्वरित कार्रवाई, पीड़ितों को उचित मुआवज़ा और इलाज सुनिश्चित करना।
- पशु कल्याण:
- स्थानीय निकायों को ABC (Animal Birth Control) और टीकाकरण अभियान तेज़ करने का आदेश।
- कुत्तों को मारने या प्रताड़ित करने पर रोक।
- पशु प्रेमियों को नियंत्रित ढंग से फीडिंग ज़ोन बनाने की अनुमति।
👉 मतलब, कोर्ट ने कहा कि न तो इंसानों की सुरक्षा से समझौता होगा और न ही पशुओं के साथ क्रूरता होगी।
🗣️ राहुल गांधी की प्रतिक्रिया
- राहुल गांधी ने इस फैसले की सराहना की और कहा कि यह आदेश “संवेदनशील दृष्टिकोण” (Compassionate Approach) दिखाता है।
- उन्होंने इसे वैज्ञानिक तर्कों और मानवीय मूल्यों का संगम बताया।
- राहुल गांधी पहले भी पशु अधिकारों और स्ट्रे डॉग्स प्रोटेक्शन के मुद्दों पर सहानुभूति दिखाते रहे हैं।
🌍 व्यापक महत्व
- यह आदेश नगर निगमों और राज्य सरकारों पर दबाव डालेगा कि वे कुत्तों की नसबंदी और वैक्सिनेशन अभियान को तेज़ करें।
- शहरों में फीडिंग ज़ोन और डॉग शेल्टर्स की संख्या बढ़ सकती है।
- आम लोगों को उम्मीद है कि इससे काटने की घटनाओं में कमी आएगी और विवाद (पशु प्रेमी बनाम आम जनता) थोड़ा कम होगा।
👉 कुल मिलाकर, सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश और राहुल गांधी की तारीफ़ दोनों ही संकेत देते हैं कि अब नीति-निर्माण में पशु कल्याण और मानव सुरक्षा को एक साथ संतुलित करने की कोशिश होगी।