ITR‑1, ITR‑2, ITR‑3, ITR‑5 में सभी गैर-सैलरी आय पर TDS काटे गए सेक्शन (जैसे 194A, 194J, 194S आदि) को स्पष्ट रूप से दर्ज करना जरूरी हुआ है।
इससे टैक्स विवरण की स्पष्टता बढ़ेगी और प्रोसेसिंग त्रुटियाँ कम होंगी।
नीचे TDS सेक्शन विवरण (Schedule-TDS) में किए गए नए बदलावों का विस्तृत हिंदी में वर्णन है—जो आयकर रिटर्न (ITR) फॉर्म 2025‑26 में लागू हो चुके हैं:

अब फॉर्म में TDS सेक्शन कोड देना अनिवार्य
- ITR‑1, ITR‑2, ITR‑3, ITR‑5 में अब हर गैर-सैलरी आय (जैसे ब्याज, किराया, पेशेवर शुल्क) पर TDS कटने की स्थिति में उस कटौती के आर्थिक वर्गीकरण (उदा. 194A, 194J, 194I आदि) को सटीक रूप से दर्ज करना आवश्यक है ।
- इससे कर विभाग को यह समझने में मदद मिलती है कि कौन‑सी आय पर किस सेक्शन के अंतर्गत टैक्स डिडक्ट हुआ है, जिससे TDS क्रेडिट की प्रक्रिया दंडरिहीन और मिलान प्रक्रिया तेज़ होती है ।
🧾 2. इसका मकसद और अनुपालन लाभ
- Cross-verification: यह जानकारी Form 26AS और करदाता के ITR स्केड्यूल के बीच मेल भंग करने से रोकने में मदद करती है ।
- क्रेडिट क्लेम में आसानी: यदि आय के प्रावधान (जैसे ब्याज पर 194A, किराए पर 194I) और सेक्शन कोड सही रूप से भरा गया हो, तो TDS क्रेडिट तुरन्त हासिल हो जाता है और रिफंड प्रक्रिया भी शीघ्र होती है ।
- प्रोसेसिंग में पारदर्शिता: विभाग के लिए गलत टैक्स कॉलम या ग़लत सेक्शन की पहचान हो जाती है, जिससे ITR ऑडिट या नोटिस से बचना आसान होता है ।
🚦 3. कौन क्या भरें?
- ITR‑1 (SAHAJ): अन्य किसी आय स्रोत पर TDS कटौती है तो सेक्शन कोड देना ज़रूरी।
- ITR‑2 / ITR‑3: सभी Capital Gains, Interest, Rent‑इत्यादि आय पर TDS सेक्शन का विवरण दिए बिना फॉर्म अधूरा माना जाएगा।
- ITR‑5 (Firms, LLPs): व्यवसाय/पेशेवर सेवा आयों पर काटे गए TDS के सेक्शन दर्ज करना आवश्यक।
💡 4. कैसे दिखता है फॉर्म में?
ITR‑Utility या Excel‑Utility स्क्रिन पर यह नए फ़ील्ड के रूप में होगा:
आय का प्रकार | TDS सेक्शन कोड |
---|---|
ब्याज | 194A |
अप्राप्त रेंट | 194I |
पेशेवर शुल्क | 194J |
कमीशन/ब्रोकेरेज | 194H |
अन्य (जैसे स्टॉक डिविडेंड) | 194K आदि |
ध्यान दें: अगर किसी आय पर TDS न कटा हो, तो यह फ़ील्ड आवश्यक नहीं माना जाता।
⚠️ 5. ध्यान देने योग्य बातें
- यदि सेक्शन कोड गलत भरें, तो TDS क्रेडिट में ट्रांजेक्शन रद्द हो सकता है या ITR रद्द किया जा सकता है।
- Form 26AS पर दर्ज TDS सेक्शन और ITR‑Utility में दर्ज सेक्शन को समान होना चाहिए ।
- TDS वाले टैक्सदाताओं (जैसे बैंक, एयरलाइन, प्रिंटर) को अपने TDS रिपोर्ट में सही सेक्शन कोड भेजना चाहिए, वरना लाभार्थी को परेशानी होगी।
✅ निष्कर्ष
- यह बदलाव ITR फाइलिंग को ज़्यादा ट्रांसपेरेंट और स्वचालित बनाता है।
- आम टैक्सपेयर्स—विशेषकर जो लगातार ब्याज या रेंट कमा रहे हैं—को छोटे-छोटे धन नुकसान और देरी से बचने में मदद मिलेगी।
- सबसे महत्वपूर्ण: सही सेक्शन चयन, Form 26AS से मिलान, और TDSक्रेडिट क्लेम्स को जल्दी प्रक्रिया करना आसान होगा।